रत्न एक बहुमूल्य नग आकर्षक खनिज का एक पत्थर होते हैं जो बहुत सून्दर और आकर्षक होता हैं। जो कटाई और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य आभूषण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है । रत्न चमकदार, प्रकाश की किरणों से प्रभावित होकर शरीर पर उन किरणों का प्रभाव डालने वाला रत्न अपने गुणों के कारण ज्योतिष शास्त्र में अपनी विशेष भूमिका रखते है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्न में शक्तियों का भण्डार होता हैं, जो शरीर में स्पर्श के माध्यम से प्रवेश करती है। रत्नों में अलग-अलग चुम्बकीय शक्तियाँ होती हैं । पौराणिक मान्यता के अनुसार रत्न में दैवीय शक्ति समाहित होती है, जिनसे मनुष्य जीवन में परिवर्तन उत्पन्न होता है। रत्न आभूषणों के रूप में शरीर की शोभा तो बढ़ाते ही हैं, साथ ही उनमें अपनी दैवीय शक्ति के प्रभाव के कारण रोगों का निवारण भी करते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार देखें तो हर रत्न का किसी न किसी ग्रह से जुड़ा होता है। जैसे सूर्य का संबंध माणिक्य रत्न से, चन्द्रमा का मोती से, बुध का पन्ना से, गुरु का पुखराज से, शुक्र का हीरा से, शनि का नीलम से, राहू का गोमेद से और केतु का लहसुनिया से। इसी प्रकार रत्नों के उपरत्न भी होतें है।
ज्योतिषी से जन्म कुण्डली दिखा कर मनुष्य अशुभ ग्रहों को शुभ बनाना या फिर शुभ ग्रहों को अपने लिए और अधिक शुभ बनाने की मनुष्य की चाहत रहती है जिसके लिए वो अनेकों उपाय करता है उन्ही उपायों में से एक उपाय है रत्न धारण करना। ज्योतिष में ग्रहो के बल को बडाने हेतु रत्न धारण करना एक महत्वपूर्ण एवं असरदार उपाय माना जाता है।
रत्न मुख्यतः नौ प्रकार के होते है। माणिक्य, मोती, मूँगा, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया ये मुख्य रत्न कहे जाते हैं।
रत्नों के धारण करनें कि एक विधि शास्त्रों में वर्णित है उसी विधि से रत्नों को धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। प्रत्येक रत्न को धारण करनें कि विधि अलग है इस कारण धारण विधि रत्नों के साथ हमारे इस लेख में उपस्थित है। सामान्यतः दृष्टि से देखा जाये तो रत्न धारण करतें समय जिस ग्रह से संबंधित रत्न को धारण करना हैं तो उस ग्रह से संबंधित मंत्रों का जप तथा पूजा पाठ आदि को करना चाहिएं या विद्वान पण्डित जी करना चाहिए। पूर्ण रुप से प्रतिष्ठित व अभिमन्त्रीत रत्न आप हमारी संस्था में बंसस करके या हमें म्. उंपस करके मंगावा सकते है। रत्न को धारण करने से पूर्व उसे गंगा जल अथवा कच्चे दूध से शुद्ध करना चाहिए और रत्न विशेष दिन अथवा शुभ मुहूर्त में हि धारण करना चाहिए।
रत्न के माध्यम से जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता पाई जा सकती है। रत्न को ग्रह शांति के लिए धारण किया जाता है रत्न के प्रभाव व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुख की प्राप्ती होती है रत्न धारण करने से जीवन पर ग्रहों के अनुकूल प्रभाव पड़ते हैं रत्न के प्रभाव से जातक के जीवन में सकारात्म बदलाव होते हैं
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