कालसर्प दोष

परिचय

वर्तमान समय में ज्योतिषयों के मुख एवं अन्य मध्यम से हमारे समाने एक ज्योतिष का बहुचर्चित योग के रूप में एक दोष का नाम सामने आता हैं जिसे हम काल सर्प दोष योग के नाम से जानते है। जब सूर्यादि सातों ग्रहों की स्थिती राहु (सर्प मुख) एवं केतु (सर्प पूंछ) नाम के दो ग्रहों के मध्य में स्थिं‍त हो तब ये योग निर्मित होता है। परन्तु वास्तव में हमें इस योग से बहुत अधिक भयभीत होने कि आवश्यकता नहीं है। बल्कि इसे समझने ओर इसके प्रभाव को जानने आवश्यकता है।

कालसर्प दोष देखने का तरीका

जब सूर्य चन्द्र मंगल बुध गुरु शुक्र एवं शनि सातों ग्रह, भाव, राशि एवं अंश सभी स्थिति में राहु और केतु के मध्य स्थित हो तो कालसर्प योग निर्मित होता है। साधारण तरिके के लिए आप लग्न कुण्डली के उपर राहु और केतु को एक लाईन में मिलाते हुए एक स्कैल या पैन रखें अगर स्कैल या पैन के एक ओर सूर्य चन्द्र मंगल बुध गुरु शुक्र एवं शनि सातों ग्रह हो ओर दूसरी ओर एक भी ग्रह ना हो तो कालसर्प योग निर्मित होता है। अपनी कुण्डली में सटिक काल सर्प दोष की जानकारी हेतु आप हम से सम्पर्क कर सकते है। काल सर्प योग के कुछ साम्भावित दुष्प्रभाव

  1. बार बार स्वास्थ खराब होना या अधिक शारीरिक कमजोरी रहना।
  2. मेहनत के अनुसार परिणाम या सफलता की प्राप्त ना होना।
  3. शुभ कार्यो में अडचनों का आना।
  4. स्वपन में नाग दिखना।
  5. डरावने स्वप्न अधिक मात्रा में दिखना।
  6. गुप्त शुत्रुओं का प्रभाव अधिक होना।
  7. बार - बार कलंक लगना।
  8. जीवन में सुख प्राप्त न होना।
  9. स्थाई मित्रता प्राप्त न होना।
  10. कर्मानुसार ऐश्वर्य, यश व धन प्राप्त न होना।
  11. जीवन में दुर्व्यसन एवं बुरी आदतों का होना।
  12. परिवारिक कलह बनी रहना।
  13. शिक्षा के क्षेत्र में अंडचने।
  14. दाम्पत्य जीवन से सम्बन्धित समस्याएं

काल सर्प योग के दुष्प्रभाव समय

कालसर्प दोष कुण्डली में है तो वो हमेंशा प्रभावित रहेगा ऐसा बिल्कुल नहीं है कालसर्प दोष का विशेष समय होता है जब वो विशेष रूप से प्रभावित हो कर समस्यों को उत्पन्न करता हैं। वो समय निम्नलिखित है

  1. जब कुण्डली के जातक पर राहु या केतु की महादशा चल रही हो।
  2. जब कुण्डली के जातक पर राहु या केतु की अन्तर दशा चल रही हो।
  3. जब कुण्डली के जातक पर राहु या केतु की प्रत्यंतर दशा चल रही हो।
  4. जब कुण्डली के जातक पर मारकेष व अष्टमेष की महादशा, अन्तर दशा एवं प्रत्यंतर दशा चल रही हो।
  5. जब कुण्डली के जातक के माता - पिता की मृत्यु हो गई हो ।
  6. जब कुण्डली के जातक पर साढें साती का प्रभाव हो।
  7. कुछ विद्वानों के मतानुसार कालसर्प दोष 43 वर्ष की आयु तक ही विशेष रूप से नुकसान दायक होता है।

कालसर्प के प्रकार

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कालसर्प 288 प्रकार के होते है । इनमें मुख्यतः कुण्डली के 12 भाव से 12 प्रकार के काल सर्प योग ही विशेष रूप से प्रभावित एवं प्रचलित है। 12 काल सर्प योग के नाम व निर्मित स्थिति का विवरण

01- अनंत कालसर्प योग

जब जन्म कुण्डली के प्रथम भाव में राहु व सप्तम भाव में केतु हो तब अन्नत कालसर्प योग बनता है। प्रभाव- इस योग में जन्में व्याक्ति स्वतंत्र विचारों वाला, असंतुष्ट वैवाहिक जीवन वाला, शरीरिक रोगों से पीडित और निडर होता है। उपाय – अनन्त कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को महामृत्यंजय मंत्र का जप प्रतिदिन करना चाहिए। अनन्त कालसर्प दोष के निवारण हेतु की जातक को चांदी की ठोस गोली सदैव अपने पास रखना चाहिएं। अनन्त कालसर्प दोष के निवारण हेतु की जातक को काले रंग का वस्त्र धारण नहीं करना चाहिएं । अनन्त कालसर्प दोष के निवारण हेतु की जातक को प्रतिदिन सूर्य भगवान को ताबें के लोटे में जल भरकर लाल रोली, शहद, गुंड, लाल फुल डालकर अघ्र्य प्रदान करना चाहिएं।

02- कुलिक कालसर्प योग

जब जन्म कुण्डली के द्वितिय भाव में राहु व अष्टम् भाव में केतु हो तब कुलिक कालसर्प योग बनता है। प्रभाव- इस योग में जन्में व्याक्ति अत्यन्तो कठिन परिस्थितियों के साथ जीवन निर्वाह करने वाला, धन के अभाव में जीवन व्यतित करने वाला और निरर्थक यात्राओं को करने वाला होता है। उपाय - कुलिक कालसर्प दोष के निवारण हेतु की जातक को प्रतिदिन रुद्राक्ष की माला से शिव मन्दिर में पंचाक्षर मंत्र का जप करें। कुलिक कालसर्प दोष के निवारण हेतु की जातक को बुधवार के दिन दो रंगा कम्बल मन्दिर में दान करना चाहिएं। कुलिक कालसर्प दोष के निवारण हेतु की जातक को सोमवार को चांदी कि ठोस गोली बनवाकर उसकी पूजा करें और फिर उसे अपने पास सदैव साथ रखें। कुलिक कालसर्प दोष के निवारण हेतु की जातक को प्रतिदिन मस्तक पर केसर या हल्दी का तिलक लगाना चाहिए। कुलिक कालसर्प दोष के निवारण हेतु की जातक को प्रतिदिन रोटी घास गायें को खिलाना चाहिएं।

03- वासुकि कालसर्प योग

जब जन्म कुण्डली तृतिय भाव में राहु व नवम् भाव में केतु हो तब वासुकि कालसर्प योग बनता है। प्रभाव- इस योग में जन्में व्याक्ति परिवार जनों से कष्ट प्राप्त करने वाला अस्थिर आय वाला और अपयश प्राप्त करने वाला होता है। उपाय - वासुकि कालसर्प दोष के निवारण हेतु की जातक को षिव महिमन स्त्रोत का पाठ करना चाहिए । वासुकि कालसर्प दोष के निवारण हेतु की जातक को सोना धारण करना चाहिए। वासुकि कालसर्प दोष के निवारण हेतु की जातक को प्रतिदिन सोते समय अपने सिरहाने थोडा सा बाजरा रखें और सुबह पंक्षीयों को खिलाना चाहिए वासुकि कालसर्प दोष के निवारण हेतु की जातक को परिवारजनों का सम्मान करें। वासुकि कालसर्प दोष के निवारण हेतु की जातक को आठ मुखी रुदाक्ष काले धागे में धारण करना चाहिए।

04- शंखपाल कालसर्प योग

जब जन्म कुण्डली में चतुर्थ भाव में राहु व दशम भाव में केतु हो तब बनता शंखपाल कालसर्प योग है। प्रभाव- इस योग में जन्में व्याक्ति माता से रुष्ट रहने वाला, भूमि-भवन में बाधा, वाहन व नौकरी पेशे में अडचनें और चल अचल सम्पतियों का नुकसान प्राप्त करने वाला होता है। उपाय - शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को चांदी की डिब्बी में शहद भरकर घर से बाहर एकान्त में जमीन में दबाना चाहिए। शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को प्रदोष व्रत करना चाहिएं । शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को घर में पशु-पक्षी नहीं पलना चाहिएं। शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को चार मुखी एवं आठ मुखी रुदाक्ष सफेद धागें में धारण करें।

05- पदम कालसर्प योग

जब जन्म कुण्डली में पंचम भाव में राहु व एकादश भाव में केतु हो तब बनता पदम कालसर्प योग है। प्रभाव- इस योग में जन्में व्याक्ति को शिक्षा एवं संतान में बाधा, धन लाभ प्राप्त न होना आय में अस्थिर रहना और अपयश प्राप्त करने वाला होता है। उपाय - पदम कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को लिंगाष्टक स्तुति का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए। पदम कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को घर में चांदी का ठोस हाथी ईशान कोण में रखना चाहिए। पदम कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को घर में कुत्ता कभी नहीं पालना चाहिए। पदम कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को मछलियों को दाना डालना चाहिए। पदम कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को नरसिंह भगवान का पूजन प्रतिदिन करना चाहिए।

06-महापदम कालसर्प योग

जब जन्म कुण्डली में षष्टम् भाव में राहु व द्वादष भाव में केतु हो तब बनता महापदम कालसर्प योग है। प्रभाव- इस योग में जन्में व्याक्ति को शासकीय व राजकीय कार्यो में बाधा, प्रेम प्रसंग में धोखा, शत्रुओं से पीडित रहने वाला और नेत्र रोग से पीडित होता है। उपाय - महापदम कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को शिव जी का रुद्राभिषेक पूजन प्रदोष तिथि में करना चाहिए। महापदम कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को कुवारी कन्यों का पूजन करें एवं भोजन करवाए। महापदम कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को ऋण लेने-देने से बचना चाहिए। महापदम कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को आठ मुखी एवं नौ मुखी रुदाक्ष लाल धागें में धारण करें।

07- तक्षक कालसर्प योग

जब जन्म कुण्डली के सप्तम् भाव में राहु व प्रथम् भाव में केतु हो तब तक्षक कालसर्प योग बनता है। प्रभाव- इस योग में जन्में व्याक्ति का वैवाहिक जीवन कलह पूर्ण, मित्रों से विवाद रहना, कल्पना शक्ति कि कमी एवं स्त्री/पुरुष सुख में कमी और जीवन में धोखा की अधिक प्राप्त करने वाला होता है। उपाय - तक्षक कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करना चाहिए। तक्षक कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को मंगलवार के दिन लोहे की गोली पर लाल रंग कर अपने पास रखना चाहिए। तक्षक कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को अपनी पत्नी से पुनः दोबारा विवाह करना चाहिए। तक्षक कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को लक्ष्मी उपासना सहित ॐ श्रीं हृीक्लीं हृी श्रीं महालक्ष्म्यै नमः मंत्र का जप करें। तक्षक कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को प्रत्येक मंगलवार को रामचरित्र मानस के सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।

08- कार्काटक कालसर्प योग

जब जन्म कुण्डली के अष्टम् भाव में राहु व द्वितिय भाव में केतु हो तब तक्षक कालसर्प योग बनता है। प्रभाव- इस योग में जन्में व्याक्ति के जीवन में दुर्घटनाओं कि अधिकता, स्वास्थ्य खराब रहना, पैतृक सम्पंति का नुकसान होना, गुप्त रोगों का होना एवं स्वभाव में चिडचिडापन होता है। उपाय - कारकोटक कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को शिव सहस्त्र नाम का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए। कारकोटक कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को 800 ग्राम शीषे के आठ टुकडे करके आठ बुधवार तक एक साथ बहते पानी में डालना चाहिए। कारकोटक कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को मांसाहार नही करना चाहिए । कारकोटक कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को स्त्रियों एवं विधवा स्त्रियों सम्मान करें। शनि भगवान को काले तिल व सरसों तेल शनिवार के दिन चढायें और शनि चालिसा का पाठ करें।

09- शंखचूड कालसर्प योग

जब जन्म कुण्डली के नवम भाव में राहु व तृतिय भाव में केतु हो तब शंखचूड कालसर्प योग बनता है। प्रभाव- इस योग में जन्में व्याक्ति के भाग्य में अडचन, जीवन में कठिन परिश्रम व संघर्ष, एवं यश सम्मान की कमी होती है। उपाय - शंखचूड कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को सोमवार का व्रत व शिव पंचाक्षर मन्त्र का जप करना चाहिए। शंखचूड कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को तीन दिन लगातार चने की दाल बहते पानी में डालनी चाहिए। शंखचूड कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को घर की खिडकियों पर काला रंग करवाए। शंखचूड कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को राम रक्षास्त्रोत का पाठ प्रतिदिन करें। शंखचूड कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को प्रतिदिन सोते समय अपने सिरहाने जौ या बाजरा रखें और सुबह पंक्षीयों को खिलाऐ।

10- घातक कालसर्प योग

जब जन्म कुण्डली के दषम् भाव में राहु व चतुर्थ भाव में केतु हो तब घातक कालसर्प योग बनता है। प्रभाव- इस योग में जन्में व्यक्ति को पिता के सुख में कमी, अलसीपन, पद-प्रतिष्ठता की कमी, राज सुख की कमी एवं व्यापार व करोबार में नुकसान होता है। उपाय - घातक कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को दुर्गा कवच का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए। घातक कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को पीतल के बर्तन में गंगा जल भरकर पूजन स्थान में रखना चाहिए। घातक कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी को शुद्ध घी के साथ सिन्दूर का चैला चढाऍ। घातक कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को शिव जी को नाग नागिन का जोडा प्रत्येक शुक्ल पंचमी में चढायें।

11- विषधर कालसर्प योग

जब जन्म कुण्डली के एकादश भाव में राहु व पंचम् भाव में केतु हो तब विषधर कालसर्प योग बनता है। प्रभाव- इस योग में जन्में व्यक्ति के जीवन में धन, लाभ, आय कि कमी, ईच्छायों का पूर्ण न होना, बुद्धिहीनता एवं अपराधी प्रवृति वाला होता है। उपाय - विषधर कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। विषधर कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को गंगा स्नान करना चाहिए। विषधर कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को गाय का पालन करना चाहिए। विषधर कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को चॉंदी की कोई वस्तु धारण करना चाहिए। विषधर कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को पॉंच मुखी एवं नौ मुखी रुदाक्ष लाल धागें में धारण करना चाहिए।

12- शेषनाग कालसर्प योग

जब जन्म कुण्डली के द्वादष भाव में राहु व षष्टम् भाव में केतु हो तब शेषनाग कालसर्प योग बनता है। प्रभाव- इस योग में जन्में व्याक्ति के नेत्र सम्बन्धी रोग, अवगुणों की अधिकता, सात्विकता की कमी, जीवन में खर्च अधिक होना एवं स्वभाव से झगडालु होता है। उपाय – शेषनाग कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को पिरामिंड कमरे में रखना चाहिए। विषधर कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को सोमवार के दिन चाँदी के दो टुकडे ले कर एक टुकडे को किसी तीर्थ स्थान में बहते हुए जल में प्रवाहित करें और दुसरे टुकडे को सदैव अपने पास रखें। विषधर कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को सदैव सत्य बोलना चाहिए। विषधर कालसर्प दोष के निवारण हेतु जातक को पॉंच मुखी एवं आठ मुखी रुदाक्ष सफेद धागें में धारण करना चाहिए।

कालसर्प योग खण्डित कैसे होता है।

किसी जातक की जन्म कुण्डाली में कालसर्प योग कि स्थिति सुनिश्चित करने से पहले जन्म कुंडली में स्थित सभी ग्रहों के अषं, ग्रहों से निर्मित योगो पंचमहा योग एवं अन्य तथ्यों पर सावधानी पूर्वक विचार करना अति आवश्यक है राहु केतु से 10 अषं तक कोई भी अन्य सातो ग्रहो में से अगर आगे है तो कालसर्प योग खण्डित होगा। रुचक योग, भद्र योग, हंस योग, मालव्य योग, शष योग में से कोई भी एक योग निर्मित है तो कालसर्प योग खण्डित होगा।

कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के उपाय

  1. प्रतिदिन रुदाक्ष की माला से नमः शिवाय का जप करें।
  2. विद्वान पण्डित जी से तीर्थ या शिवालय में काल सर्प दोष की शन्ति पूजा करवाएं।
  3. मास भक्षण व जीव हिंसा ना करें।
  4. सदैव मस्तक पर तिलक धारण करें।
  5. चांदी का नाग - नागीन का जोडा शिव लिंग के उपर चढायें।
  6. आठ एवं नौ मुखी रुदाक्ष धारण करें।
  7. प्रदोष में शिव जी का रुदाभिषेक पूजन करें।
  8. दुर्गा जी के सहस्त्रनामावली का पाठ करें।