"ज्योतिषां सूर्यादिग्रहणां बोधकं शास्त्रम्" अर्थात् सूर्यादि ग्रह और काल का बोध कराने वाले शास्त्र को ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है। इसमें प्रधानताः ग्रह, नक्षत्र, धूमकेतु आदि ज्योतिः पदार्थों का स्वरूप, संचार, परिभ्रमणकाल, ग्रहण और स्थिति, प्रकृति समस्त घटनाओं का निरूपण एवं ग्रह, नक्षत्रों की गति, स्थिति और संचारानुसार फलों का कथन किया जाता है। ज्योतिष भाग्य या किस्मत को बताने वाला शास्त्र नहीं अपितु ग्रहों की गति से होने वाले प्रभाव को, जो पृथ्वि के प्रत्येक जीव व क्षेत्र में पड़ता है उसें व्यक्त करता है जैसे अष्ठमी व पूर्णिमा तिथि से ज्वार-भाटे का समय की निश्चय होना, सूर्य-चन्द्र ग्रहण का सटीक स्थिति का ज्ञान प्रदान करना। ज्योतिष शास्त्र को परम पिता परमात्मा के चक्षु (नेत्र) की संज्ञा प्रदान की गयी है। हिन्दु धर्म के छः शास्त्रो में से एक बृहद् शास्त्र है ज्योतिष शास्त्र ।
ज्योतिष शास्त्र भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं व कठिनाइयों के प्रति मनुष्य को सावधान कर देता है। रोग निदान में भी ज्योतिष का बड़ा योगदान है। दैनिक जीवन में हम देखते हैं कि जहां बड़े-बड़े चिकित्सक असफल हो जाते हैं, डॉक्टर थककर बीमारी व मरीज से निराश हो जाते हैं वही मन्त्र-आशीर्वाद, प्रार्थनाएँ, टोटके व अनुष्ठान काम कर जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र हमारें भविष्य की सम्भावित घटनाओं का ज्ञान प्रदान कर हमारें जीवन को उचित मार्गदर्शन प्रदान करता है। ज्योतिष हमें जीवन ज्योति के साथ मजबूत हौसला प्रदान करता है। ज्योतिष शास्त्र से मार्गदर्शन प्राप्त कर जीवन को सुखमय व सुगम बनाया जा सकता है और जीवन की सुगमता व सुख-समृद्धि हेतु भविष्यदृष्टि ज्योतिष संस्थान सदैव आपके साथ है।
भविष्य दृष्टि ज्योतिष संस्थान के संस्थापक परम पूज्य गुरुदेव निर्वतमान शंकराचार्य पद्मभूषण स्वामी डॉ. सत्यमित्रानन्द गिरी जी के दिक्षांत शिष्य ज्योतिर्विध धर्मगुरु पं. अभिषेक दुबे शास्त्री जी है जिन्होने भारतीय ज्योतिष शास्त्र का गहन अध्ययन कर मानव जीवन को अपने ज्योतिष ज्ञान से मार्गदर्शन प्रदान हेतु इस संस्थान की स्थापना संवत 2061 फाल्गुन कृष्ण चतुदर्शी 08 मार्च 2005 मंगलवार को की थी।
वर्ष 2005 से निरन्तर गुरुदेव ज्योतिष ज्ञान द्वारा सटिक भविष्य वाणी करते हुए समाज व मानव जाति का मार्गदर्शन करते आ रहे है। गुरुदेव कई जानीमानी राजनैतिक व फिल्म सिटी की हस्तियों के बारे में सत्य व सटिक भविष्य वाणी करके उन महान हस्तियों से पूजित है परन्तु गुरुदेव अपने स्वभाव के अनुसार अपना अत्याधिक परिचय देना व प्रसंशा करना पसन्द नहीं करते है गुरुदेव का मानना है कि प्रसंशा के काबिल केवल परम पिता परमात्मा है इस कारण गुरुदेव का संक्षिप्त परिचय के साथ भविष्य दृष्टि ज्योतिष संस्थान आगामी सटिक भविष्य वाणी के साथ आपके सुखद भविष्य हेतु समर्पित है।
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