प्रत्येक ग्रह का अपना एक मंत्र हैं और मंत्रों का जाप कितनी संख्या में करना चाहिए यह भी प्रत्येक ग्रह के लिए अलग-अलग है अर्थात् प्रत्येक ग्रह की जाप संख्या भी अलग-अलग होती है। ग्रह का मंत्र और उनकी जाप संख्या को तालिका द्वारा दर्शाया गया है। ग्रह से सम्बन्धित मंत्र की प्रतिदिन कम से कम एक माला (108 बार) अवश्य करनी चाहिए। जब जाप पूरे हो जाएं तब दशांश हवन कराना चाहिए। कष्ट निवारण और ग्रहपीड़ा शांति हेतु नवग्रहों के बीजमंत्र जप का विधान है। जिस ग्रह के कारण कष्ट और पीड़ा हो उसके निवारण हेतु बीजमंत्र का जप अधिक लाभ देते हैं। विधिपूर्वक जप पूर्ण कर लेने पर सम्बन्धित ग्रह की कृपा प्राप्त होती है और कष्टों का निवारण भी सहज हो जाता है। परन्तु मंत्र जप के पूर्व विद्वान जोतिष्य से परामर्श लेना अतिआवश्यक है।
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