ग्रह, उनके मंत्र और जाप संख्या

प्रत्येक ग्रह का अपना एक मंत्र हैं और मंत्रों का जाप कितनी संख्या में करना चाहिए यह भी प्रत्येक ग्रह के लिए अलग-अलग है अर्थात् प्रत्येक ग्रह की जाप संख्या भी अलग-अलग होती है। ग्रह का मंत्र और उनकी जाप संख्या को तालिका द्वारा दर्शाया गया है। ग्रह से सम्बन्धित मंत्र की प्रतिदिन कम से कम एक माला (108 बार) अवश्य करनी चाहिए। जब जाप पूरे हो जाएं तब दशांश हवन कराना चाहिए। कष्ट निवारण और ग्रहपीड़ा शांति हेतु नवग्रहों के बीजमंत्र जप का विधान है। जिस ग्रह के कारण कष्ट और पीड़ा हो उसके निवारण हेतु बीजमंत्र का जप अधिक लाभ देते हैं। विधिपूर्वक जप पूर्ण कर लेने पर सम्बन्धित ग्रह की कृपा प्राप्त होती है और कष्टों का निवारण भी सहज हो जाता है। परन्तु मंत्र जप के पूर्व विद्वान जोतिष्य से परामर्श लेना अतिआवश्यक है।

ग्रह मंत्र बीज मंत्र जप संख्या
सूर्य ऊँ सूर्याय नम: अथवा ऊँ घृणि सूर्याय नम: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नमः 7,000
चन्‍द्रमा ऊँ चं चंद्राय नम: अथवा ऊँ सों सोमाय नम: ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नमः 11,000
मंगल ऊँ भुं भौमाय नम: अथवा ऊँ अं अंगारकाय नम: ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नमः 10,000
बुध ऊँ बुं बुधाय नम: ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नमः 9,000
गुरु ऊँ बृं बृहस्पतये नम: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नमः 19,000
शुक्र ऊँ शुं शुक्राय नम: ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नमः 16,000
शनि ऊँ शं शनैश्चराय नम: ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नमः 23,000
राहु ऊँ रां राहवे नम: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नमः 18,000
केतु ऊं कें केतवे नम: ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नमः 17,000